संमोहित करने वाली सुन्दर स्त्री||Raja ki kahani|| Hindi Suspence story||Hindi fairy tale story||Moral story|| Hindi Kahaniyaa|| Bed time stories||

संमोहित करने वाली एक सुन्दर स्त्री जिसने राज्य में उत्पाद मचा रखा था. उसका लक्ष्य था राजा तक पहुंचना. पढिये यह काल्पनिक hindi fairy tale story.

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राजा निरंजन एक युवा राजा थे उनके राज्य का विस्तार बड़ी तेजी से हो रहा था. लेकिन उन्हें एक अजीब समस्या का सामना करना पड़ रहा था.

एक बहुत ही सुन्दर स्त्री बला कीं खूबसूरत लेकिन वो सम्मोहन में बड़ी कुशल थी उसने ना सिर्फ इस राज्य बल्कि कई राज्य में अपना जादू चला रखा था.

संमोहित करके वो लोगों से कुछ भी काम करवाती थी. राज्य में चोरी लूटपाट और खून आम बात हो गई थी. उस स्त्री का लेकिन अभी तक कोई पता नहीं लगा पाया था.

ना ही ठीक से उसके बारे में कोई बता पा रहा था. आये दिन राजा के सामने कोई ना कोई याचना लेकर राजमहल आता था.

राज्य में चर्चा थी उस स्त्री का अंतिम शिकार राजा होगा क्यों कीं राजा को संमोहित करके वो राज्य कीं रानी बनना चाहती है.तब से राजा कीं सुरक्षा भी ओर बड़ा दी गई.

एक दिन एक भाई अपनी बहन के साथ राजमहल में आया दोनों कीं हालत बहुत ख़राब थी भाई अपने बहन के माथे पर हाथ रख आया था

बहन घायल थी ओर वो जन्म से ही बोल नहीं पाती थी.
राजमहल में उसे जानें नहीं दिया गया सैनिको नें उसे द्वार पर ही रोक लिया

राजा नें दूर से यह देखा और उन्हें पहले उपचार के लिये राजमहल के उपचार केंद्र में भेजा.गया राजा ने स्वयं उपचार केंद्र जाकर उन्हें देखा

भाई और बहन दोनों रो रहें थे. रोता हुआ भाई बोला कीं मैंने बड़ी मुश्किल से इसके विवाह के लिये स्वर्ण आभूषण बनवाये थे

लेकिन वो संमोहिनी हमें संमोहित करके सारे आभूषण ले कर चली गई. मेरी बहन मुझसे ज्यादा सतर्क थी इसने उसकी आँखों में ना देखा

इसलिये जब वो आभूषण छीन रही थी तब इन दोनों में छिना झपटी हुई और इसकी यह हालत हो गई. राजा नें उस लड़की कीं ओर देखा.

मासूम सी लड़की सहमी सी बैठी थी. राजा नें उससे पूछा कीं क्या तुमनें उसे ठीक से देखा है उसे पकड़ने में हमारा सहयोग कर सकती हो.

उसका भाई बोला सरकार यह जन्म से ही गूंगी है बोल नहीं सकती. राजा नें उससे पूछा क्या नाम है तुम्हारी बहन का वो बोला सरकार इसका नाम बाती है

ओर मेरा मंगल है. राजा उस समय वहाँ से चला गया लेकिन उस मासूम लड़की का चहेरा और रोना उसकी आँखों में घूमता रहा.

साँझ को राजा फिर उपचार केंद्र गया. वो लड़की और उसका भाई जानें कीं तैयारी में राजा नें उन्हें जाते देख बोला कीं कहां जा रहें है

राजा अब उस लड़की बाती कीं आँखों में ही देख रहा था. बिलकुल निर्दोष उसकी आँखे राजा के हृदय को चिर रही थी.

राजा नें उनसे कहां कीं आप दोनों राजमहल के मेहमान बनकर यही रहेंगे. राजा कीं आंखे उस लड़की से हट ही नहीं रही थी. रात्रि में उसे नींद नहीं आयी.

रात्रि में ही राजा नें विचार कर लिया कीं उसे क्या करना है. सुबह राजा शीघ्र ही उठ गया. उसे बस बाती को देखना था वो उसके कक्ष में गया.

बाती नें राजा को देख पहले खुद को संभाला . राजा बाती के पास आया कहां कीं तुम मेरी रानी बनोगी. क्या है तुममें जो मुझे सोने नहीं दे रहा.

बाती कीं बड़ी बड़ी आँखे अब राजा कीं आँखों में देखने लगी. राजा को जैसे दुनियाँ मिल गई. राजा नें बाती को ज़ोर से पकड़ लिया और अपने सीने से लगा लिया

उसका भाई कक्ष में आया और उसने राजा को बहन के साथ ऐसी दशा में देख कहां,महाराज आप यह क्या कर रहें है.

राजा नें बोला अब यह हमारी रानी बनेगी. बाती नें शर्म से आँखे झुका ली. राजा नें अपने मंत्री गण को कहां कीं कल ही उनका विवाह होगा प्रबंध किया जाये.

राजा के महामंत्री को खबर खुशी के साथ थोड़ी संकोची भी लगी. तभी अचानक द्वार पर एक लड़की बहुत रो रही थी महामंत्री वहाँ गये.

तब उन्हें पता चला कीं वो लड़की भी बोल नहीं सकती. वो इशारों में कुछ समझाना चाह रही थी. थोड़ी देर बाद समझ आया कीं उसका भाई संमोहिनी के वश में है.

ऐसा यह कहना चाह रही है. महामंत्री को अब शक होने लगा उसे पता चल गया था कीं यह उसकी असली बहन है और राजा भी अब उस संमोहिनी के वश में.

राजा एक पल के लिये भी उसका हाथ वो छोड़ नहीं पा रहा था. संमोहिनी भी राजा को इस हालत में देख बहुत खुश हो रही थी वो सोच रही थी

यह राजा तो अब मेरे लिये मरने को भी तैयार हो जायेगा. बस मुझे इसे इसी तरह संमोहित करके रखना होगा. महामंत्री को लग गया कीं

राजा को अब इस स्त्री के चुंगल से छुड़ाना होगा. वो राजा के पास गया और कहां कीं राजा कल आपका विवाह है और विवाह के पूर्व कुछ रस्मे और शगुन होते है.

इसलिये विवाह के पूर्व आप ऐसे रानी के साथ एकांत में नहीं रख सकते. उस स्त्री नें महामंत्री कीं और देखा लेकिन वो आंखे निचे करके ही रहें

उन्हें पता था कीं अगर एक बार उनकी आँखों में उसने देख लिया तो वो भी उसके वश में आ जायेंगे.राजा नहीं माना.

फिर महामंत्री नें कहां कीं यह सब में आगे आपके विवाह के सफल होनें के लिये ही है और फिर एक रात्रि के बाद है उसके बाद पूरा जीवन पड़ा है.

राजा अब मान गया जानें को तैयार हो गया. संमोहिनी कीं विवशता थी कीं वो कुछ बोल नहीं सकती थी इसलिये कुछ बोल नहीं पायी और राजा

वहाँ से चला गया. महामंत्री राजा को उनके कक्ष में लें गये. उन्हें पता था कीं राजा को सच बताने से कोई फायदा नहीं है

क्यों कीं राजा उनकी बात नहीं मानेगा उन्हें किसी तरह से संमोहिनी के मुँह से कुछ बुलवाना पड़ेगा . इसलिये उन्होंने कहां कीं राजा अब से मंडप तक रानी आपको देख नहीं सकती.

नहीं तो बड़ा अनर्थ होगा इसलिये मैंने निर्णय लिया कीं हमें रानी कीं आँखों में काला कपड़ा बांधना होगा. राजा कीं हालत एक पागल से कम नहीं रह गई थी.

उसने कहां आप को जो सही लगता है करें लेकिन कल मेरा विवाह कराये ओर अधिक विलम्ब नहीं करें. महामंत्री नें कुछ महिलाओं को

उस संमोहिनी के कक्ष में भेजा जिन्होंने उसकी आँखे काले कपडे से बंद कर दी साथ ही 2 स्त्रियां वही रही ताकि वो खोल नहीं सके. संमोहिनी विवश थी कीं क्यों कीं वो बोल नहीं सकती थी.

वरना उसका भेद खुल जाता इसलिये वो चुप रही. अगले दिन मंडप सजाया गया था. राजा आतुरता से वहाँ उसकी रह देख रहा था.

दुल्हन को लाया गया आँखों पर काला कपड़ा था. फिर मंडप पहुंचने पर कपड़ा हटाया गया. जैसे ही कपड़ा हटा संमोहिनी को कुछ दिखाई नहीं दिया.

जिस कारण उसे पीड़ा ओर क्रोध आने लगा क्यों कीं उसकीं शक्ति तो आँखों में ही थी. वो जोर से चिल्लाई महामंत्री तुने मुझे अंधा कर दिया

ऐसा कहकर वो इधर उधर हड़बड़ा कर दौड़ने लगी. तुने मुझे अंधा कर दिया. सारा मंडप बिखर गया. राजा भी उसकी वाणी सुनकर जैसे नींद से जाग गया हो.

उसका सम्मोहन टूट गया. राजा नें कहां तो अच्छा तो तुम हो वो हमें भी धोका दे रही थी. संमोहिनी को फिर पहरेदारों नें पकड़ा ओर कराग्रह में डाल दिया.

राजा नें महामंत्री से पूछा कीं आपनें यह कैसे किया. महामंत्री नें कहां कीं उसकी शक्ति उसकी आँखों में थी मैंने कुछ समय के लिये उसे एक प्रदार्थ से अंधा किया और उसकी असलियत सामने आ गई.

राजा नें उन दोनो भाई बहनो को धन्यवाद के साथ विदा किया और महामंत्री को भी उन्हें और राज्य को बचाने के लिये धन्यवाद दिया.

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