जब मैंने दरवाजा खोला तो वही जलेबीवाला था। उसे देख कर में डर गई। Suspense story in hindi ।Hindi kahaniya। Achhi kahaniyaa सस्पेंस स्टोरी इन हिन्दी।।
अंजान जलेबीवाला। Suspense story in hindi ।।Hindi kahaniya।। Hindi story।। Hindi Suspense kahaniya ।। Achhi kahaniyaa।।
मेरे पति विकास सिविल सुपरवाइजर है। कंस्ट्रक्शन का काम जहाँ होता है उन्हें वहाँ जाना होता है। कभी किसी साइट पर तो कभी किसी साइट पर उनका काम होता है।
कभी अगर ज्यादा समय का काम होता है तो फिर हम भी यानी में उनकी पत्नी दिव्या और हमारी छोटी 6 साल बच्ची प्रिया भी उन्ही के साथ वही चले जाते है। इसी बहाने उनके साथ समय बिताने का मौका भी मिल जाता है और नयी जगह देखने भी।
लेकिन इस तरह के बदली के काम में कभी अच्छा लगता है अच्छा है कभी चिढ़ होती है। अभी शहर के पास एक छोटी जगह पर काम चल रहा है।
विकास कुछ पेपर वर्क की वजह से हमें यही छोड़ कर हेड ऑफिस दिल्ली गये है। पास ही एक छोटा बाजार लगता है। उनके जानें के बाद घर की जरुरी चीज़े लेने में वहाँ जाती हूँ।
सब कुछ ठीक था लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ की मुझे परेशान करने लगा। बाजार के पीछे की तरफ एक बर्तन बाजार था। जब में वहाँ गई तो,तब एक जलेबी के ठेला वाला था। वो हमें ऐसे देख रहा था जैसे हमें जानता हो। वो दिखने में कोई 48 - 50 का होगा।
जब में वहाँ बैठी कुछ समान खरीद रही थी तब वो वहाँ आये और हमें जलेबी दी। मैंने सोचा लें लेती हूँ शायद इसलिये ही वो कब से देख रहें थे। मैंने वो जलेबीयां लेकर पैसे दिये, लेकिन उन्होंने पैसे लेने से मना कर दिया। फिर वो मुझे बोले मैडम आप यही रुकना में आता हूँ।
बेहिवियर तो अच्छा था लेकिन एक अंजान शख्स से मुझे बात करना ठीक नहीं लगा। इसलिए में वहाँ से निकल गई। में उस बात को भूल गई ऐसा भी कुछ याद रखने लायक उसमे था नहीं।
जब में 3 दिन बाद फिर वहाँ गई तो मुझे उन्हें देख कर याद आया इसलिये में उनसे बच कर वहाँ से चली गई। ताकि वो मुझे देख नहीं पाये। में अपना काम खत्म करके घर चली गई।
मैंने घर पहुंच कर दरवाजा बंद किया था। तभी दरवाजे की बेल बजी मैंने जाकर दरवाजा खोला और में देखकर डर गई। दरवाजे पर वही ठेला वाला जलेबी वाला था।
उसे देख कर में घबरा गई और उसके कुछ बोलने के पहले ही मैंने बोला क्या काम है तुम मेरा पीछा कर रहें हो। बुलाऊ किसी को। दोबारा यहाँ दिखना मत।
मेरे जोर से बोलने और गुस्से से वो डर गया और घबरा कर भाग गया। मैंने कभी किसी को इस तरह बोला नहीं था। लेकिन मुझे ऐसा करना पड़ा।
यह बात मैंने विकास को बताई। उन्होंने बोला की मेरे आने तक ख्याल रखो और मार्केट जाना मत। में आकर देखता हूँ। विकास 3 दिन बाद ही आने वाले थे।
विकास जब आये तब अगले दिन हमारा फिर बाजार जाना हुआ। उन्होंने कहाँ की कौन है बताओ जरा में भी देखूँ कौन है जो घर तक आया था।
उन्होंने देखा उसे वो अभी भी ठेले पर जलेबी बेच रहा था। उन्होंने देखते ही कहाँ की मैंने इसे पहले देखा है। पर याद नहीं आ रहा।
वो वहाँ उस ठेले के पास गये। उन्हें देखते ही वो पहले खुश हुआ और फिर बोला साहब आप मुझे गलत मत समझना में आपका पीछा नहीं कर रहा हूँ।
विकास बोले की मैंने पहले कहीं देखा है तुम्हे। वो ठेले वाला बोला। हाँ साहब में उस दिन भी आप से ही मिलने आया था पर मैडम मुझे गलत समझ गई। आपका अहसान है मेरे पर। बस उसी का शुक्रिया करनें आया था।
विकास का काम ऐसा है की उसे बहुत काम करने वालों के साथ मिलना होता है। इसलिए उसे शुरू से ही लगा की उसने उन्हें पहले भी कहीं देखा है। विकास नें उनके यह कहने पर पूछा।
विकास - आप कौन है कैसा अहसान।
वो यक्ति बोला - साहब आपकी साइट थी 3 साल पहले यहाँ से 200 km दूर एक शहर में में उस समय आपके केबिन के देखरेख, पानी भरना और सफाई का काम करता था। करीब 6 महीने आप वहाँ रहें थे। मुझे आप नें कम देखा होगा क्यूँ की में अपना काम करके चला जाता था।
में वहाँ था जब मुझे पैसे को सख्त जरूरत थी घर में बहुत समस्या थी। सारा पैसा जो भी कमाता था घर में देता था। खाने का भी पैसा नहीं बचता था।
कई दिनों तक तो काम चलाया लेकिन फिर एक दिन भूखा था तो आपका डब्बा दिखा। में जब सफाई करता था तब आप बाहर चले जाते थे। एक दिन मुझे भूख लगी तो मैंने आपके डिब्बे से एक रोटी निकाल कर खा ली। ऐसा ही फिर में करने लगा आपकी एक रोटी से में पूरा दिन निकाल लिया करता था।
आप कभी कभी साइट पर मैडम को भी लाया करते थे। इसलिए मुझे मैडम का चेहरा याद रह गया। वैसे भी जिसकी रोटी मैंने खाई उसका चेहरा में कैसे भूल सकता हूँ।
मैडम को देखा तो में आपके घर आया ताकि आप लोगों से मिलकर में आपको धन्यवाद और माफ़ी मांग सकूँ। उन पैसो से ही घर की समस्या भी सुलझ गई और कुछ बचा कर मैंने यह ठेला भी लगा लिया। अभी आपकी मेहरबानी की वजह से सब ठीक है। आप वहाँ से अचानक चले गये। में जब भी रोटी खाता था तब सोचता था की में आपको जरूर बता दूंगा। फिर डर भी लगता था की कहीं यह नौकरी ना चली जाये। अभी सब ठीक है तो मैंने आपको यह बता दिया।
मनोज भी एक अच्छा इंसान था। यह सब सुनने के बाद वो बोला की आप जैसे लोग ही जो यह सब याद रखते है और उसका धन्यवाद देते है। वरना लोग तो कितना भी कर लो भूल जाते है।
लेकिन आप अगर मुझसे कहते तो में आपके लिये टिफिन लें आता। माफ़ करना मेरी पत्नी नें आप को. गलत समझा आप कभी घर आना खाने पर ,अब चोरी से नहीं खाना होगा।
वो यक्ति खुश हुआ की मनोज और में उसकी इस बात का बूरा नहीं माने। सच में उनकी आँखों में जो सच्चाई थी वो देख कर लगा की इंसानियत अभी भी है। ऐसे लोगों के लिये कुछ करने का मन करता है।
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यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है। इसके पात्र घटनाये स्थान नाम भी काल्पनिक है। इसका किसी के भी जीवन से मेल खाना महज एक सयोंग होगा। कहानी का उद्देश्य केवल मनोरंजन करना है। कृपया इसे उसी तरह से लिया जाये। पाठक अपने विवेक का इस्तेमाल करें।