एक अंजान बुजुर्ग महिला। जो रोड पर रहती थी। उनसे मेरा था यह रिश्ता...।। Hindi kahani।। Suspense story in hindi ।।kahaniyaan।


मेरे क्लिनिक के बाहर एक बुजुर्ग महिला आकर बैठने लगी। कुछ बोलती नहीं थी। एक दिन अचानक उन्होंने मेरा नाम भी लिया। बड़ी प्यार भरी नजरों से देखती थी मुझे। जब एक दिन में अपनी माँ के साथ आयी तो मुझे पता चला की वो और कोई नहीं बल्कि मेरी असली...


एक अंजान बुजुर्ग महिला। जो रोड पर रहती थी। उनसे मेरा था यह रिश्ता...।। Hindi kahani।। Suspense story in hindi ।।kahaniyaan।



मुझे याद नहीं कब से लेकिन जब से मैंने होश संभाला था तब से ही मुझे डॉक्टर बनना था। मुझे लगता था की मुझे भी लोगों के दुख दूर करना है।


सपना देखना आसान होता है लेकिन उसे पूरा करना बहुत मुश्किल बात है। मेरे साथ भी यही हुआ। लेकिन ऊपरवाला आपके के लिये कुछ तो प्लान करके रखता है।



मेरे माता पिता जब में 6 साल की तब ही एक एक्सीडेंट में चल बसें। उनके अलावा मेरा इस दुनियाँ मै कोई नहीं था। 


मुझे याद है पड़ोस की मासी ने कुछ दिन मेरा ख्याल रखा मुझे खिलाया मुझे उस समय संभाला। वो शायद मुझे हमेशा अपने साथ रखती।



लेकिन फिर जैसा की मैंने कहाँ उपरवाले ने शायद, मेरे लिये कुछ और प्लानिंग कर रखी थी। मेरे पिता के दोस्त डॉक्टर थे। वो हमारे घर आया भी करते थे।


जैसे ही उन्हें मेरे पिता और माता के बारे में पता चला वो आये और उन्होंने मुझे गोद लेना चाहा। उनके कोई संतान नहीं थी। 



बस फिर उसी दिन से वो मेरे पिता और माँ बन गये। में अपने आप को खुशकिस्तम मानती हूँ की मुझे वो मिल गये। लेकिन इसमें में उनकी मर्जी थी। एक दरवाजा जहाँ बंद होता है वही दूसरा दरवाजा अपने आप वो खोल देता है।


पिताजी डॉक्टर थे। और मुझे भी डॉक्टर बनना था। पढ़ाई लिखाई अच्छे से हुई और भगवान और माता पिता के आशीर्वाद और मेरी मेहनत की बदौलत आखिरकार मेरा सपना सच हो गया।



पढ़ाई पूरी करने के बाद पिताजी के क्लिनिक में इनके साथ मैंने प्रैक्टिस की और फिर वही उनकी थोड़ी ही दूरी पर उनके सहयोग से मैंने अपना एक छोटा सा क्लिनिक भी खोल लिया।



कई लोग आते क्लिनिक पर और में उनके इलाज करके खुश होती। लेकिन पिछले कुछ दिनों से मेरी क्लिनिक के बाहर एक बुजुर्ग महिला आती है।



शुरवात में वो आती थी। बाहर से ही मुझे देखती थी। और चली जाती थी। मेरे क्लिनिक के सामने ही उन्होंने अपना डेरा डाल लिया था। 


महिला बुजुर्ग थी। अच्छे से बोल भी नहीं पा रही थी। मैंने इस कारण उन्हें कुछ नहीं कहाँ मैंने कोशिश की उनसे बात करने की और उन्हें बेहतर जहग लें जानें की लेकिन वो नहीं मानती थी।


एक दिन में शॉक रह गई जब उन्होंने मुझे मालू कहकर बुलाया। इस नाम से मुझे मेरे पिता और माँ ही बुलाते थे। किसी को शायद ही यह नाम पता था। मेरा पूरा नाम मालती जरूर क्लिनिक के बाहर लिखा था।



लेकिन यह नाम उन्हें कैसे। कुछ 1 या 2 मैंने सोचा फिर मैंने बात को टाल दिया। यह सोचकर की शायद उनके मुँह से निकल गया होगा। वो वैसी ही कई बाते बड़ बड़ाती रहती थी।


मेरे आते और जाते समय वो बड़ी प्यार भरी नजरों से मुझे देखती थी। लेकिन जैसे ही कभी में उनके पास जाती वो नजरें चुरा कर दूर होने लगती।


इसलिये फिर मैंने उनके पास जाना छोड़ दिया। करीब 1 महीना हो गया था उनको मेरे क्लिनिक के आस पास। इस बारे में मैंने माँ को बताया था।



एक दिन माँ को कुछ काम था और उनका मेरे क्लिनिक आना हुआ। वही उन्होंने उस बुजुर्ग महिला को देखा। देख कर उन्होंने उस समय कुछ नहीं कहाँ।


लेकिन मेरे घर जानें के बाद उन्होंने कहाँ की उनकी शक्ल जानी पहचानी सी लग रही है। उन्हें ऐसा लग रहा था की उन्होंने कहीं उनको देखा है।


करीब 15 दिन बाद एक दिन मेरे घर जानें पर माँ मुझे  कहती है की उन्हें पता चल गया है की वो कौन है लेकिन अभी पूरी बात नहीं बता सकती। 



मैंने कहाँ कौन है आप उन्हें जानती है क्या। वो मेरा नाम भी जानती है। उन्होंने मुझे मालू कहकर बुलाया था। कौन है वो।


माँ ने कहाँ की अभी नहीं। पर बहुत जल्द में तुझे बता दूंगी की वो कौन है। अब मेरे मन में भी विचार आने लगे की वो कौन है। आखिर इस हालत में कैसे आp गई।


अगली सुभह हमारे घर पर मासी आ गई। मासी को माँ ने बुलाया था। आते ही मासी ने उनसे मिलने को कहाँ। अभी तक मेरे समझ नहीं आ रहा था की यह क्या हो रहा है।


हम तीनो क्लिनिक गये मासी ने देखा और माँ को कहाँ की हाँ यह वही है। दोनों उनके पास गये उनको आता देख वो दूर जानें लगी। लेकिन मासी ने उन्हें उनके नाम से बुलाया।


बिमला बेन रुको।। अपना नाम शायद उन्होंने बहुत दिनों के बाद सुना होगा। मासी ने उनका हाथ पकड़ा। वो फफ़क़ फफ़क़ कर रोने लगी।



मासी के कहने पर पहली बार वो क्लिनिक में आयी अंदर बैठी पहले से अच्छी लग रही थी। बात भी कर रही थी रोते भी जा रही थी।
 


लेकिन मुझे अभी तक समझ नहीं आया की आखिर वो महिला है कौन जिसे मेरी माँ और बचपन की मेरी पड़ोस वाली मौसी जानती है।


माँ जब उनसे बात कर रही थी। तब मैंने मासी को बुलाया और पूछा की आप तो बता दो यह कौन है।


मासी ने बोला तुझे याद नहीं। शायद नहीं होगा छोटी थी तू उस समय बचपन में देखा था। उसके बाद कहाँ देखा तुने।



यह तेरी मामी है। याद है जब तेरे माँ बाप गुजर गये थे तब आस पडोस मोहल्ले वालों ने कहाँ था की तुझे किसी रिश्तेदार के यहाँ छोड़ दूँ। हालांकि में नहीं चाहती थी।



लेकिन फिर मैंने सोचा की मेरे पास रहकर क्या मिलेगा। तेरा भविष्य बन जायेगा अगर कोई मिल जाये तो। तेरे एक ही मामा थे। तेरे नाना का जमीन जायदाद सब था। लेकिन तेरी माँ ने अपने पसंद से शादी की जिस कारण उन्होंने उनसे रिश्ते तोड़ दिये थे।



जब में तुझे लेकर उनके पास गई तो तेरे मामा तो तुझे देखकर पिघल गये थे। लेकिन तेरी मामी ने साफ मना कर दिया की हमारा इससे कोई रिश्ता नहीं।


तुझे याद है उस दिन में तुझे लें गई थी मासी ने मुझसे सवाल किया। मुझे याद है धुंधला सा।मैंने कहाँ.

 

समय कभी एक सा नहीं रहता। आज इनके सगे बेटा बहूँ ने इन्हे घर से निकाल दिया। तेरे मामा के जानें के बाद इनकी यह हालत हो गई।



शायद इनको अपनी की उस गलती का अब अहसाह हो रहा है। बुरे समय जब आता है। तब अहसाह होता है की कभी भी घमड़ नहीं करना चाहिये यह कभी भी किसी के साथ भी हो सकता है।इसलिये तुझे ढूढ़ते ढूढ़ते यह यहाँ तक आ गई तेरे पास।



मुझे पता था इनके बारे में खोज खबर मिलती रहती थी। तेरी माँ को भी मैंने बताया था इसलिये उन्होंने मुझे फोन किया यहाँ आने को उन्हें लगा की यह वही है।


उनको देख मुझे जरा सा भी गुस्सा नहीं आ रहा था। पता नहीं क्यों अपनापन पैदा हो गया था। उन्हें लगा था की उनसे गलती हो गई थी, lअब जाकर उनकी आँखे खुल गई थी। मैंने जाकर पहले उनके पाँव छुए।


अब वो हमारे ही साथ रहती है। थोड़ी बातें भी करने लगी है। 


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