राजा अपने दरबार में बैठा है। चेहरे पर हवाईया उडी हुई है। उसके सामने रानी है। लेकिन 1 नहीं बल्कि 2 हूबहू एक ही जैसी। Hindi Suspense story।।Suspense story in hindi।। Hindi kahani ।। Hindi kahaniyaa।। Hindi Suspense story।। Hindi Story।।
बहरूपी रानी। कौन है असली रानी। Suspense story in hindi।। Hindi kahani ।। Hindi kahaniyaa।। Hindi Suspense story।। Hindi Story।।
राजा जब अपने राज्य में भ्रमण कर रहा था तब उसे गरीब बच्चों के साथ खेलते दिखाई दी, कुसुम। कुसुम को देखते ही राजा उस पर मोहित हो गया। रंग रूप में कोई ऐसी बात नहीं थी एक साधारण सी दिखने वाली लड़की थी लेकिन उसकी सादगी और भोलेपन ने राजा को आकर्षित किया।
खेलते समय कुसुम का पैर एक काँटों की झाड़ी में जा खुसा जिससे उसके पंजे में काँटों और पत्थरों की रगड़ से खून निकलने लगा। चोट कुसुम को आयी थी लेकिन दर्द राजा को हुआ था। उसे कुसुम से प्रेम हो गया।
कुसुम के माँ बाप का कोई पता नहीं था। जिस माँ ने उसे पाला था वो भी इस दुनियाँ में नहीं रही। तो वो इस राज्य के गाँव में उनके ही किसी दूर के भाई के यहाँ आ गई।
उसे क्या पता था की उसकी किस्मत उसे कहाँ लें जा रही है। राजा ने कुसुम को देखते ही विवाह का फैसला लें लिया। कई राज्य की राजकुमारी उनसे विवाह करने के लिये आतुर थी लेकिन राजा का दिल आया तो कुसुम की मासूमियत पर।
राजा ने विवाह का प्रस्ताव भिजवा दिया। कुसुम के सम्बन्धी को विश्वास नहीं हुआ की इस अभागन लड़की पर कैसे भगवान की कृपा हो गई।
कुसुम ने विवाह के पूर्व राजा को एक पत्र लिखा उसमे लिखा था की हम आपको अभी राजा की तरह देखते है। विवाह के बाद आप हमें कुछ समय देंगे जानने के लिये तो अच्छा होगा।
राजा और कुसुम का विवाह हो गया। कुसुम की जैसी मर्जी थी राजा ने वैसा ही किया। कुसुम को समय दिया। राजा के विवाह की चर्चा अब हर राज्य में होने लगी। एक साधारण सी लड़की से राजा ने क्यूँ विवाह किया यह सवाल सबके मन में था। जबकि राजा के लिये कई सुन्दर रानी विवाह प्रस्ताव भेज चुकी थी।
विवाह उत्सव हर दिन मनाया जा रहा था। गाँव और पास के गाँव के लोग रानी को देखने और तरह तरह के खेल तमाशे देखने आने लगे।
करीब 25 दिन बाद रानी को थोड़ा चिंतित देख कर राजा ने कहाँ की क्या हुआ आप हम से विवाह करके खुश नहीं है क्या। रानी ने कहाँ ऐसा नहीं है। आप ने तो मेरे भाग खोल दिये। क्या आप हम विश्वास करते है? रानी ने पूछा। राजा ने कहाँ हाँ।
फिर रानी ने अपने मन की बात बताई जो हैरान करने वाली थे।
रानी ने कहाँ की उसे 10 दिन अज्ञात होना है। 10 दिन बाद आकर में आपको इसकी वजह बता दूंगी। राजा ने बिना सोचे कुसुम को जानें को कहाँ।
10 दिन रानी कहाँ जा रही है यह किसी को नहीं पता था। वो रानी बनकर भी एक साधारण स्त्री बनकर गई थी।
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10 दिन बीत गये। राजा अपने दरबार में बैठा है। और चेहरे पर हवाईया उडी हुई है। उसके सामने रानी है। लेकिन 1 नहीं बल्कि 2 हूबहू एक ही जैसी।
दोनों में तिल मात्र का फर्क नहीं था। राजा ने देख कर कहाँ की अभी भी समय है आप दोनों को में एक अवसर देना चाहता हूँ आप में से एक ही हमारी असली रानी है। दूसरी या तो कोई बहरूपी है या कोई और शक्ति। अभी भी सच्चाई बता दीजिये में छमा कर दूंगा। वरना अगर हमें पता चला तो दंड मृत्यु होगी।
दोनों यही कह रही थी की वो है। असली रानी। पूछे गये सवालों का जवाब भी दोनों एक सा बता रही थी। फिर राजा ने एक अंतिम प्रश्न पूछा की बताओ 10 दिन के लिये कहाँ गई थी।
उनमें से एक रानी तो चूप रही दूसरी ने कहाँ की जैसा की मैंने आपको बताया था की इसकी वजह में आपको आकर बताउंगी तो में अपना वादा पूरा करती हूँ। में अनाथ थी लेकिन जब से मुझे समझ आयी है तब से मैंने यह जरूर सोचा की काश में अपने माँ पिता से मिल पाती।
मुझे कुछ गुप्त पत्र मिल रहें थे। जिस में मेरी माँ का पता था। अब जब की में रानी बन गई। तब हर कोई मुझे अपनी पुत्री बनाना चाहेगा इसलिये मैंने वहाँ जाकर उनसे भेट की और सारी पूछ प्ररख करने के बाद ही मैंने माना की वो मेरी असली माँ है। और में उन्हें अपने साथ यहाँ लायी हूँ बस आपकी आज्ञा की प्रतीक्षा कर रही थी।
रानी ने अपनी माँ को सबके सामने भरे दरबार में बुलाया। सब देखने के बाद राजा ने दुसरी रानी से पूछा की तुम कुछ कहना चाहती हो। दूसरी रानी सर निचे करके चूप रही।
राजा ने कहाँ की इस बहरूपी रानी को करागृह में डाला जाये। तभी वहाँ खड़ी पहली रानी ने कहाँ की महाराज करागृह नहीं इसे मृत्यु दंड दें। इसने कोई छोटी गलती नहीं की।
राजा ने कहाँ की आप कहती है तो अवश्य इसे मृत्यु दंड मिलेगा। बस उसके समय की घोंसणा हम कल भरे दरबार में करेंगे।
इतना कहकर राजा ने आदेश दिया की उसे करागृह में डाल दिया जाए।
रात्रि के वक्त राजा अकेले करागृह गया और बंदी रानी से कहाँ की मुझे असलियत पता है। कुसुम यह सुनकर हैरान रह गई और राजा की ओर देखने लगी।
राजा ने अपनी बात फिर दोहराई की मुझे पता है की आप ही हमारी असली कुसुम है।
रानी की आँखों से आंसू आने लगी। वो राजा को प्रेम भरी नजरों से देखने लगी।
राजा ने अपनी बात पूरी की कहाँ की बस मुझे इस बात ने परेशान किया है की आप ने वहाँ यह नहीं बताया की आप 10 दिन कहाँ गई थी ओर वो दोनों वो रानी और उसके साथ में जो आयी उसकी माँ वो कौन है।
रानी ने उत्तर दिया की इसका उत्तर में आपको नहीं दें सकती मैंने किसी को वादा किया है। राजा के बार बार पूछने पर भी जब रानी नहीं मानी तो राजा ने कहाँ की ठीक है कल भरे दरबार में उन दोनों को मृत्यु दंड दें दूंगा।
तब रानी बोली नहीं महाराज ऐसा मत कीजिये। तब फिर रानी ने सच्चाई बताई। कहाँ की वो मेरी माँ है गुप्त पत्र मुझे आये थे तो में बताई जगह पर गई। वहाँ मैंने उन से भेट की करीब 9 दिन मैंने उनसे बहुत बात की उन्होंने आपके लिये पूछा मैंने सब बता दिया।
में अपनी माँ से पहली बार मिली थी इसलिये मैंने उनसे सबकुछ कहाँ जो में कहना चाहती थी।
राजा ने कहाँ की आपने ऐसे कैसे मान लिया की वो आपकी माँ है। उन पत्रों में उन्होंने सब लिखा था जो मेरी पालने वाली माँ ने मुझे बताया था। में उनसे कई सवाल करती थी, की कभी मेरी असली माँ मिल जायेगी तो में उन्हें कैसे पहचानूगी। उन्होंने कहाँ की जो तुम्हे यह बता दें की तुम कहाँ छूट गई किन वस्त्रो में थी वही तुम्हारी माँ है। और उन्होंने उसका सही उत्तर दिया। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं की वो मेरी माँ है।
फिर उन्होंने ऐसा कैसे होने दिया। राजा के इस प्रश्न का उत्तर रानी ने दिया की। मुझे लगता है यह भी उन्होंने विवश होकर किया है। वो दूसरी रानी मेरी जुड़वाँ बहन है। मैंने भी उसे अभी दरबार में देखा है।जब तक माँ सामने नहीं आयी तब तक मुझे भी लगा की वो कोई बहरूपी है इसलिये मैंने अपना पक्ष रखा। लेकिन जब माँ सामने आयी तब में समझ गई की वो मेरी बहन है।
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मेरी माँ ने मुझ से वचन लिया था की में उनके बारे में किसी से ना कहूं। ना ही वो मेरे साथ आयी कहाँ की अगली बार जरूर चलूंगी।अब मुझे समझ आया की उन्होंने ऐसा क्यूँ किया। मेरी उसी बहन के दबाव में। जैसे ही में रानी बनी उसे लालच आया होगा। और यह सब किया। में आपसे विनीति करती हूँ जो जैसा है उसे वैसा ही रहने दीजिये। मेरी माँ ने पहली बार मुझसे कुछ माँगा है। अब उसके लिये मुझे अपने प्राण भी देना पडे तो में दूंगी।
राजा यह सब बातें सुनकर उस समय वहाँ से चला गया। भरे दरबार में फिर बंदी रानी खड़ी। साथ दूसरी रानी भी अच्छे वस्त्रो और आभूषणो में थी। माँ खड़ी थी लेकिन मुँह निचे करके।
राजा ने कहाँ बहरूपी रानी को 3 दिन पश्चात् सबके सामने मृत्यु दंड दिया जायेगा। इतना सुनकर माँ का दिल आखिर पिघल गया भरे दरबार में जाकर उसने बंदी रानी को गले लगा लिया
रोते रोते कहने लगी नहीं महाराज यही है आपकी असली रानी इसे यह सजा मत दीजिये। राजा ने कहाँ हमने कहाँ की बहरूपी रानी हमें पता यह हमारी असली रानी। इतना कहकर राजा ने उस दूसरी रानी जुड़वाँ बहन को बंदी बनाने का आदेश दिया।
पूछा की बोलो तुमने ऐसा क्यूँ किया। उस जुड़वाँ बहन का नाम सरिता था। उसने कहाँ की जब से मैंने होश संभाला है मिला ही क्या है ना रूप है ना धन है। माँ भी हमेशा इसे याद करती थी। ना होकर भी यह हमारे बीच में थी। उस दिन अगर इसकी जगह में झूठ जाती तो यह सब मेरा होने वाला था।
लेकिन जब इसे देखा तो मुझसे रहा नहीं गया। यह यहाँ राज करें और में एक गुमनाम जगह रहूँ। यह महलो में में झोपडीयों में आखिर ऐसा भी क्या विशेष दिखा उस में जो मुझ में नहीं। मुझ से भी विवाह कर लीजिये।
राजा ने कहाँ इतने सालो बाद तुम्हे अपनी बहन दिखी। और तुमने यह सोचा बड़े दुर्भाग्य की बात है। सिपाहियों.. राजा के बोलने के पहले ही रानी ने बीच में कहाँ...
महाराज आप इन्हे कृपा कर छमा करें। मेरे खातिर।
महाराज बोले देखो, जिसे तुम मृत्यु दंड देने वाली थी वो तुम्हारी जान की भीख मांग रही है। यही फर्क है तुम दोनों में।
रानी ने अपनी माँ को वही रुकने को कहाँ लेकिन वो नहीं मानी कहाँ की उसको समझाना होगा। उन्हें यकीन है की वो भी एक दिन अपनी बहन से प्रेम करेंगी।
यह सब होने के बाद रानी ने एकांत में राजा से पूछा की आपको कैसे ज्ञात हुआ की में ही आपकी रानी हूँ हम दोनों बहने तो एक सी है।
राजा ने कहाँ की मनुष्य की वाणी और मुँह झूठ बोल सकते है दिखावा कर सकते है, लेकिन उसके पैर नहीं।
रानी ने अपने पैर देखें और वो समझ गई। रानी के पैरो के पंजे में अभी भी उन काँटों और पत्थरों के रगड़ के निशान थे।
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