पॉकेट – जब विश्वास पागलपन बन गया। Hindi kahani Hindi।Suspense story।Hindi story।सस्पेंस कहानियाँ। Psychological Thriller Stories।


सुनील को लगता था कि उसकी पॉकेट में चीज़ें गायब करने की शक्ति है। डॉक्टर और उसकी पत्नी रानी उसे समझाते रहे, मगर उसका भ्रम सच्चाई से ज़्यादा गहरा हो गया। यह एक भावनात्मक मनोवैज्ञानिक कहानी है जो दिखाती है कि झूठा विश्वास कभी-कभी सबसे खतरनाक होता है।

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मनोवैज्ञानिक सस्पेंस कहानी। मनोवैज्ञानिक सस्पेंस कहानियाँ। Hindi kahani।Hindi।Suspense story।Hindi story।सस्पेंस कहानियाँ। Psychological Thriller Stories।


 कहानी की शुरुआत


कमरे में हल्की खुशबू थी, दीवारों पर रंग फीके पड़े थे और सामने बैठे सुनील की आँखों में एक अनोखी चमक थी। डॉ. शिखा ने फाइल में नज़र डाली और फिर कहा, 

“सुनील, रानी बता रही थी कि तुम फिर दवाइयाँ नहीं ले रहे हो।”

सुनील हौले से मुस्कराया — "दवाइयाँ की जरुरत मुझे नहीं है  नहीं डॉक्टर। मेरे पास पॉवर है। मैं चीज़ों को गायब कर सकता हूँ।”

डॉ. शिखा ने गहरी सांस ली, “सुनील, यह पावर नहीं, तुम्हारे दिमाग का भ्रम है। तुम्हें दवाइयाँ लेना बहुत ज़रूरी है।”

लेकिन सुनील ने बस सिर झुका लिया। वो उठा, अपना काला सूट झाड़ा, और कहा — “जब आप मेरी पॉकेट की शक्ति देख लेंगी, तब आपको भी विश्वास हो जाएगा।”

सुनील इतना कहकर वहाँ से उठकर चला गया।


🕴️ काला सूट और भ्रम की दुनिया

घर पहुँचकर रानी ने उसे देखा — वही काला सूट और काली टोपी। “सुनील, तुम गर्मी में भी यही सूट क्यों पहनते हो?” उसने पूछा।

आगे कहा की 
तुमने आज भी अपना सेशन पूरा नहीं किया शिखा औऱ में तुम्हारी मदद करने की कोशिश कर रहें है।

सुनील मुस्कराया, “ तुम्हे यह लगता है, लेकिन इसमें में तुम्हारी कोई गलती नहीं मानता एक दिन तुम क्या सारी दुनियाँ मेरी इस शक्ति को मानेगी, औऱ यह सूट मेरा पॉवर सूट है रानी। इसमें रहकर मैं चीज़ों को कंट्रोल कर सकता हूँ।”

रानी ने थकी हुई नज़रों से देखा। वो जानती थी कि अब यह खेल नहीं रहा, यह अब कुछ ओर ही बन चुका था।

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🌳  पार्क और आख़िरी बातचीत

शाम ढल रही थी। हवा में हल्की ठंड थी। सुबह से सुनील अपने कमरे में बंद था रानी के जिद करनें पर भी वो बाहर नहीं निकला आखिर कार रानी ने उसे फोन करके कुछ बहाना करके पार्क में बुलाया। 

सुनील आया — वही सूट, वही टोपी, और वही मुस्कान।

सुनील ओर रानी मै फिर बहस हो गई थी, रानी उसी बात पर उसे समझाने की कोशिश कर रही थी। लेकिन सुनील अपनी बात पर अड़ा था।

सुनील नें अपना इन्हेंलर निकाला ओर कहा की 
में अब तुम्हे अपना यह इन्हेंलर गायब करके दिखाऊंगा।

रानी उसकी बातों को सीरियसली नहीं लें रही थी 

सुनील नें अपने पॉकेट में अपना इन्हेंलर डाला ओर हाथ बाहर निकाला सुनील ख़ुशी से नाचने ओर पार्क में दौड़ने लगा।
दौड़ते - दौड़ते सुनील की सांसे फूलने लगी 
अब तक रानी चुप चाप बैठी, लेकिन सुनील की हालत देखकर अब वो घबरा गई 


रानी घबराई, “सुनील, यह मज़ाक का वक्त नहीं है!”

सुनील हँसा, “अब तो तुम मानोगी रानी, मेरे पास पावर है!”

⚡ साँस की जंग

अचानक सुनील की साँसें तेज़ हो गईं। वो पार्क में तेज़ चलने लगा, “देखो, मैं अब भी ठीक हूँ…”

पर आवाज़ टूटने लगी। वो ज़मीन पर गिर पड़ा। रानी दौड़ी — “सुनील, इन्हेलर निकालो!”

रानी नें हड़बड़ा हट में इन्हेंलर को इधर उधर देखा पार्क में सब जगह जिस चेयर पर वो बैठे उस चेयर पर सुनील के हाथ देखें -

वो हांफते हुए बोला, “वो… मेरी पॉकेट में था लेकिन अब नहीं … अब तो तुम मानोगी…” और फिर उसकी आवाज़ बंद हो गई।

रानी को देखकर सब लोग वहाँ जमा हुऐ, लेकिन तब तक शायद देर हो चुकी थी.

कुछ कदम दूर, एक कुर्सी के नीचे इन्हेलर पड़ा था। वो रानी को दिखाई दिया। देखने के बाद रानी नें 

रानी ने काँपते हाथों से जेब टटोली — जेब फटी हुई थी… और खाली। 

रानी की आँखें नम हो गईं। उसकी उँगलियाँ सुनील की फटी पॉकेट पर टिक गईं। पॉकेट ने वाकई कुछ गायब कर दिया था — उसकी पूरी ज़िंदगी।


रानी ने धीरे से उसकी फटी पॉकेट को देखा। वो समझ गई — सुनील की पॉकेट में कोई शक्ति नहीं थी, बस एक भरम् था.

🕊️ अंतिम संदेश

कभी-कभी इंसान अपने भ्रम में इतना डूब जाता है कि सच्चाई उसे दिखाई ही नहीं देती। झूठे विश्वास में जीना आसान है, पर सच्चाई को स्वीकार करना ही असली शक्ति है।

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यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है। इसके पात्र घटनाये स्थान नाम भी काल्पनिक है। इसका किसी के भी जीवन से मेल खाना महज एक सयोंग होगा। कहानी का उद्देश्य केवल मनोरंजन करना है ना की किसी तरह की बातों का समर्थन करना है। कृपया इसे उसी तरह से लिया जाये। पाठक अपने विवेक का इस्तेमाल करें।



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