हमारी हिन्दी कहानियों की श्रृंखला मे हम आप के लिये लाये है Emotional Hindi story जो आपके दिल को छू लेने के साथ आपको एक सन्देश भी देगी।
शादी के कुछ दिनों बाद जब उन्होंने यह कहाँ - मैंने शादी में लोगों से सुना है… कि तुम्हारे और रवि के बीच कुछ था।” मेरी गलती है शायद मे तुम दोनों के बिच मे आ गया हूँ। लेकिन तुम चाहो तों मे अब यह गलती सुधार लूंगा। Emotional hindi love story. Emotional story in hindi. hindi kahani. Hindi story. हिन्दी कहानी. छोटी कहानियाँ.
कहानी - में तुम दोनों के बिच मे नहीं आऊंगा. Hindi Short story.
शादी के बाद ही मुझे वो बदले-बदले से लगने लगे।यह वही इंसान नहीं थे जिनसे शादी फिक्स होने के बाद मैं रोज़ घंटों बात करती थी। पहले उनकी हँसी पूरे मन से आती थी, अब सिर्फ एक फीकी मुस्कान देकर चुप हो जाते थे। मुझे ऐस लग रहा था की वो मुझसे कुछ छीपा रहे है. कोई बात तो जरूर है है जो उनको खाये जा रही थी.
शुरुआत के कुछ दिन
शादी के शुरुआती दिनों में मैंने कई बार पूछा—
“सब ठीक है? आप मुझसे नराज़ तो नहीं?”
वो हर बार वही मुस्कान देते, जो मुस्कान नहीं बल्कि एक सच छिपाने का तरीका होती है। में उनसे पूछती रहती लेकिन उनका जवाब वही रहता जो वो हमेशा कहते थे.
वो कहते,
“अरे नहीं, सब बढ़िया है… बस ऑफिस का थोड़ा तनाव है।”
लेकिन मैं जानती थी…
ये ऑफिस की बात नहीं है।
कुछ और था, जो उनके अंदर धीरे-धीरे ज़हर बनकर फैल रहा था।
सच उस रात सामने आया
यह फीकापन मुझे खा रहा था पति पत्नी होकर भी हमारे बिच उस रिश्ते जैसा अभी कुछ था नहीं उनका हर बार कोई ना कोई बहाना रहता था एक रात, जब मेरी सहनशक्ति की हद पार हो गई, तब मैंने उनसे कह ही दिया की
"आप मुझे पसंद नहीं करते थे तो शादी क्यों की या आपकी ज़िन्दगी में कोई और है "
उन्होंने अचानक कहा—
“अच्छा तो अब उल्टा चोर कोतवाल को डांटे तुम्हे तो मुझसे अलग होने का बहाना चाहिए किसी ना किसी वजह से तुम यह आगे करने वाली हो तो अभी क्यों नहीं "
मैंने कहा -"की क्या कर रहे हो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा. "
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वो तपाक से बोले मैंने सब देखा है… शादी में तुम जिस रवि से बात कर रही थीं, जो हर पल तुम्हारे आसपास था…
मैंने सब देखा।”
मैं एक पल को अवाक रह गई।
“रवि? तो क्या हुआ? वो मेरा दोस्त है…” मैंने खुद को शांत रखने की कोशिश की।
लेकिन उनका सवाल और उनकी आँखे और उन्होंने जो उसके बाद कहा वो मेरे दिल को चीर गया—
“मैंने शादी में लोगों से सुना है… कि तुम्हारे और रवि के बीच कुछ था।” मेरी गलती है शायद मे तुम दोनों के बिच मे आ गया हूँ। लेकिन तुम चाहो तों मे अब यह गलती सुधार लूंगा।
ये बात सुनकर मेरे पैरों तले ज़मीन खिसक गई। यह बात थी जो वो इतने दिनों तक अपने कलेजे पर लिए बैठे थे मुझे नहीं पता यह किसने कहा और कहा लेकिन लोगों की बातें?
यानी मेरी शादी… मेरा रिश्ता… कुछ अनजान लोगों की अफवाहों पर खड़ा था? एक पल के लिए मैंने सोचा की में बिलकुल भी सफाई नहीं दूंगी पर फिर मैंने अपने रिश्ते को एक मौका देना चाहा.
मैंने तुरंत रवि को बुलाया, क्योंकि मैं इस बात को हवा में नहीं छोड़ सकती थी।
रवि का आना
रवि घर आया तो उसकी आँखों में भी एक अजीब से हिचकिचाहट थी उसे मैंने सब बता दिया था आते ही वो उनसे मिला और।
वो बोला—
“भाईसाहब, आप क्यों दूसरों की बातों में आ रहे हैं?
हम अच्छे दोस्त थे… हम इस दोस्ती को भाई-बहन जैसा मानते थे।
इसमें गलत क्या है?” हां हमने अपने इस रिश्ते पर भाई बहन की मोहर नहीं लगाई हम इसे दोस्ती बन कर रखना चाहते थे ऐसा नहीं है की ऐसी बाते पहले नहीं हुई पर हमनें उन बातों को कभी भी अपने रिश्ते के बिच नहीं आने दिया. उनकी सोच ही इतनी है जो इस तरह की बात करते है.
फिर उसने मेरी तरफ देखा और कहा—
“हमने कभी चाहा ही नहीं कि लोग कुछ बोलें, पर वो तो बोलेंगे ही…
लेकिन आप?
आप उनकी सुन रहे हैं?
आपको उनकी नहीं, इनकी—अपनी पत्नी की—बात सुननी चाहिए।”
मेरा पति चुप हो गया।
एक रिश्ता…और शक
उस रात कमरे में भारी सन्नाटा था।
वो बिस्तर पर बैठे थे और मैं दरवाजे के पास चुप खड़ी थी।
कुछ देर बाद वो धीरे से बोले—
“मैं डर गया था…
तुम्हें खोने के डर ने मुझे अंदर से तोड़ दिया।”
उनकी ये बात मेरे लिए किसी मरहम की तरह थी।
मैंने उनके पास जाकर कहा—
“रिश्ते शक से नहीं, भरोसे से चलते हैं।
अगर तुम मेरा हाथ पकड़ोगे…
तो दुनिया की कोई भी अफवाह मुझे तुमसे दूर नहीं कर सकती।”
उनकी आँखों से आंसू गिर पड़े।
कभी-कभी पुरुष भी टूटते हैं, बस दिखाते नहीं।
उस रात हमने बहुत बात की।
लंबी, गहरी, सारे जहर को बाहर निकालने वाली बातें।
रिश्ते की नई शुरुआत
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अगले दिन उन्होंने खुद रवि को फोन किया और कहा—
“सॉरी भाई… तुम पर शक कर के मैंने गलत किया।”
रवि हँसकर बोला—
“अब असली जीजा - साला जैसा लग रहा है!”
उन्होंने कहा नहीं अब तक दोस्त थे तो अब भी वही रहो कोई रिश्ता बदलने की या किसी को भी दिखाने के लिए या समझने के लिए ऐसा करने की कोई जरुरत नहीं
हां बस अब में भी उस दोस्ती में जुड़ गया हु अगर तुम चाहो तो -
सब हंस दिए।
और उस हँसी में वो सुकून था, जो शायद हमारी शादी के बाद पहली बार महसूस हुआ।
कुछ महीने बाद…
हमारा रिश्ता अब पहले से ज्यादा मजबूत था।
मैंने महसूस किया कि रिश्ते को बचाने के लिए हमेशा कोई बड़ा कदम नहीं चाहिए होता,
कभी-कभी सिर्फ एक बात बस… सच्चाई और भरोसा।
शक अगर दिल में घर कर ले ना…तो सबसे मजबूत रिश्ता भी ढह सकता है।
और भरोसा हो तो…
टूटी चीज़ भी फिर से खिल सकती है।
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