एक युवक को रहस्यमयी आईना उसकी हर इच्छा पूरी कर देता है, लेकिन बदले में.. क्या देना होगा.सस्पेंस और रहस्य से भरी कहानी। Suspense Story in Hindi. Hindi Kahani. हिन्दी कहानी. Hindi story. Suspense Thriller Story. छोटी रहस्यमयी कहानी. Hindi short story.
Hindi kahani - चमत्कारी आईना- Suspense Story in Hindi.-Hindi Suspense Story
रात बहुत घनी हो चुकी थी। हवा में ठंडक ऐसी घुली थी कि हाथ बाहर निकालने पर भी उंगलियाँ सुन्न हो रही थीं। गाँव की कच्ची पगडंडी पर सिर्फ एक आदमी तेज़ कदमों से आगे बढ़ रहा था—कमल। कमल का मन बेचैन था। दो दिनों से वह शहर में काम के सिलसिले में गया था और अभी-अभी आख़िरी बस छूटने से पहले अपने गाँव लौट पाया था। रास्ता सुनसान था, पेड़ों की परछाइयाँ उससे बातें करती-जैसी लग रही थीं।
लेकिन कमल को इन सब चीज़ों से डर नहीं लगता था। वह हमेशा से थोड़ा साहसी, थोड़ा अलग-सा इंसान था। पर आज… कुछ था जो उसके दिल में हल्की-सी घबराहट पैदा कर रहा था। गाँव की सीमा से पहले, जहाँ एक पुराना महुआ का पेड़ खड़ा था, वहाँ ज़मीन पर कुछ चमक रहा था।
कमल ने पहले दूर से देखा तो उसे लगा कोई काँच का टुकड़ा होगा। लेकिन जैसे-जैसे वह करीब आया, चमक बढ़ती गई—इतनी कि लगा जैसे सूरज उसी से डूबा हो। कमल रुका। उसके कदम अपने-आप धीमे पड़ गए। चाँदनी में गलियारे जैसे रोशनी बिखेरता हुआ एक गोल आईना पड़ा था—अजीब-सा, अनोखा, किसी पुराने जमाने की कारीगरी जैसा। किनारों पर उभरी हुई नक्काशी, और बीच से निकलती हल्की, अनोखी -सी चमक।
कमल के शरीर में एक सिहरन दौड़ गई। “ये… ये वही आईना तो नहीं?” वह फुसफुसाया। वही आईना जो अपने अंदर शक्तियां लिये हुए है। आईना अपनी तरफ खींचता है उसकी नजर एक बार जिस पर पड़ गई समझो वो उसका हो गया. वह चाहकर भी हाथ बढ़ा नहीं पा रहा था। कुछ पल वह खड़ा रहा… डूबता हुआ, उलझता हुआ, डरता हुआ। लेकिन फिर उसके भीतर की कहीं न कहीं छुपी लालसा, उसके डर से जीत गई। उसने कांपते हाथों से आईना उठाया।
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आईने को हाथ में लेते ही उसे लगा—मानो उसके भीतर कोई हल्की-सी फुसफुसाहट गूंजी हो। “माँग ले… जो माँगना है। सब मिलेगा… सब…” कमल का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। “कोई भ्रम होगा,” उसने खुद को समझाया। “थका हुआ हूँ। दिमाग खेल कर रहा है।” लेकिन तभी वह आवाज़ दोबारा आई—और इस बार साफ़। “माँग ले। तुझे सब मिलेगा।” कमल की सांस अटक गई। आवाज़ किसी और की नहीं… उसके अपने ही मन से जैसे बाहर आ रही थी। आईने के भीतर हल्की-हल्की आकृतियाँ उभरने लगी थीं। कभी घर, कभी पैसा, कभी लोग… कभी कोई चेहरा।
उसकी आँखें फैल गईं। कमल ने हिम्मत कर आईने में देखा। और जैसे बिजली सी उसकी नसों में दौड़ गई। आईना सिर्फ उसकी शक्ल नहीं दिखा रहा था, बल्कि उसकी इच्छाएँ। उसका मन, उसके डर, उसकी भूख—सब जैसे धुएँ की तरह आईने के भीतर घूम रहे थे। उसके होंठ अपने-आप हिले। “मुझे… अच्छा घर चाहिए…” आईने की रोशनी थोड़ी तेज़ हुई। “मेरी नौकरी लग जाए…” रोशनी और बढ़ी। “मेरी माँ की बीमारी ठीक हो जाए…” आईना चमक से भर गया। “और…” वह रुक गया। सबसे गहरी इच्छा, जो उसने कभी किसी से नहीं कही थी, उसके सीने से निकलकर आईने में उभरने लगी। “और… मेरी गर्लफ्रेंड… रूही… वापस आ जाए। वो हमेशा मेरे साथ रहे। हमेशा…”
जैसे ही आखिरी शब्द निकले, दुनिया घूम गई। आईना अचानक ठंडा हो गया—इतना ठंडा कि कमल का हाथ सुन्न पड़ गया। एक जोर का झटका लगा। कमल की आँखों के सामने अंधेरा छा गया। --- अचानक उसकी आँख खुली… वह हड़बड़ाकर उठा। सामने उसका छोटा-सा मिट्टी का कमरा था। दीवार, खिड़की, दरवाजा—सब अपनी जगह। “मैं… घर पर? कैसे?” उसने माथा घिसा। पर तभी उसकी नज़र उस पर पड़ी— रूही। वही लड़की, जिसे वह दो साल से लगातार मनाता रहा था। जो उससे नाराज होकर शहर चली गई थी। कमल ने उसे सैकड़ों बार कॉल किया, मैसेज किया, मिलने की कोशिश की… पर कोई जवाब नहीं। और आज… वह उसके सामने खड़ी थी।
हल्की मुस्कान, वही आँखें, वही चोटी… जैसे कभी गई ही न हो। “कमल… तुम उठ गए?” वह मुस्कुराई। कमल अवाक। उसकी आवाज़ तक गले में फँस गई। “रू… रूही? तुम यहाँ? कैसे… कब…?” रूही ने बस उसका हाथ पकड़ लिया। “अब मैं कहीं नहीं जाऊँगी। हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।” उसे लगा की उसे सब कुछ मिल गया लेकिन एक सवाल था जो अब भी था क्या.. हर दिन जब वो आईने मे देखता उसकी आँखे चमकती सर घूमता और फिर अंधेरा और सुबह होते ही उसकी इच्छा पूरी होती गई।
कमल को शुरू-शुरू में सचमुच ऐसा लगा कि किस्मत ने पहली बार उसके दरवाज़े पर दस्तक दी है। हर सुबह उसकी एक न एक इच्छा पूरी हो जाती—कभी घर बदल जाता, कभी जेब पैसे से भर जाती, कभी रिश्ते सुधर जाते। सब कुछ इतना आसान, इतना तेज़ और इतना चमत्कारी था कि वह खुद समझ नहीं पा रहा था कि खुश हो या डर जाए। लेकिन एक सवाल उसके दिल के भीतर लगातार सुई की तरह चुभता था— ये सब मिल तो रहा है, पर आखिर किस कीमत पर? रात होते ही वह अनजाने डर से काँपने लगता। पर डर से ज्यादा उस आईने की चमक उसे अपनी तरफ खींचती थी।
हर रात वह उसके सामने खड़ा होता… जैसे कोई मजबूरी उसे वहाँ लाती हो। धीरे-धीरे उसकी आदत ही बन गई। आईने में झाँकने के हर बार एक जैसा क्रम शुरू होता— पहले उसकी आँखों में हल्की नीली चमक उभरती, फिर पूरा कमरा घूमने लगता, फिर उसके कानों में किसी दूर, बहुत दूर आवाज़ का कंपन भरता, और फिर सब कुछ एक झटके में काली रात से भी ज्यादा गहरे अंधेरे में डूब जाता। जब वह होश में आता— सुबह की धूप खिड़की पर बिखरी होती, और उसकी कोई इच्छा सच होकर उसके सामने खड़ी रहती। यह सिलसिला दिनों तक चलता रहा। कमल अब समझने लगा था कि हर पूरी हुई इच्छा उसके शरीर से कुछ न कुछ ले जाती है।
कभी उसका चेहरा फीका हो जाता, कभी दिल की धड़कनें तेज़, कभी हाथ काँपते, कभी सांसें छोटी पड़ जातीं। पर वह रुक नहीं पा रहा था। इच्छाएँ जितनी पूरी होतीं, नई उससे दोगुनी पैदा हो जातीं। जैसे आईने ने उसके अंदर एक अजीब-सी भूख जगा दी हो। और फिर… वह दिन आया जिसे वह जीवन भर नहीं भूल सकता..
उस रात आईने की चमक हमेशा से कहीं ज्यादा तेज़ थी। इतनी तेज़ कि लगा जैसे किसी ने सूरज को छोटा कर के उसके हाथों में रख दिया हो। कमरा घूमना शुरू हुआ… चक्कर और गहरा… आवाज़ें और तीखी… अचानक एक पल को उसकी आँखों में ऐसा लगा कि कोई चीज़ टूट रही है— जैसे उसकी रौशनी किसी ने जड़ से खींच ली हो। आईने ने अपनी आख़िरी कीमत ले ली थी।
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सुबह जब वह उठा, उसे सिर्फ एक गहरी ठंडी खामोशी महसूस हुई। चारों तरफ़ घना अंधेरा था— पर यह रात का अंधेरा नहीं था। यह वह अंधेरा था, जो कभी खत्म नहीं होना था। कमल ने चीखकर पुकारा— “कौन है…? कोई है…? मैं कुछ देख क्यों नहीं पा रहा…?” लेकिन कोई जवाब नहीं आया। कमरे में सिर्फ एक चीज़ चमक रही थी— वही आईना, जो अब शांत पड़ा था। जैसे उसने अपना काम पूरा कर लिया हो। और कमल… सब कुछ पाकर भी, आख़िरकार अपनी ही आँखों की रौशनी हार चुका था।
लेकिन एक चीज़ अजीब थी— आईने के किनारे पर उभरी हुई नक्काशी थोड़ी बदल गई थी। जहाँ पहले सिर्फ डिज़ाइन थे, अब वहाँ एक नई आकृति थी— किसी आदमी की सफेद, बेजान आँखें। ठीक वैसे जैसे कमल की थीं। आईना अभी भी वहीं है। कभी-कभी उसकी चमक फिर से जागती है। और कोई न कोई उस आवाज़ को सुन लेता है— “माँग ले… सब मिलेगा। लेकिन बस… कीमत चुकानी होगी यह सुनाई नहीं देता।
Disclaimer:
इस कहानी में दिए गए सभी पात्र, घटनाएँ और परिस्थितियाँ पूरी तरह काल्पनिक हैं। इनका किसी असली व्यक्ति, स्थान, धर्म, समुदाय या घटना से कोई संबंध नहीं है।
यह कहानी केवल मनोरंजन और सस्पेंस फिक्शन के उद्देश्य से लिखी गई है।
कहानी में दर्शाए गए चमत्कारी तत्व, अलौकिक शक्तियाँ या अविश्वसनीय घटनाएँ वास्तविकता का प्रतिनिधित्व नहीं करतीं।हम किसी भी प्रकार के अंधविश्वास, तंत्र-मंत्र, झूठी मान्यताओं या हानिकारक विश्वासों को बढ़ावा नहीं देते।
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